Menu
blogid : 11610 postid : 704281

कांटेस्ट : आखिरी अहसास

Ankesh_writes
Ankesh_writes
  • 11 Posts
  • 5 Comments
मैं लालायित तुम्हारे रूप, तुम्हारे बालो का
क्या भेजोगे उत्तर मेरे अनगिनत सवालो का
में प्रेम के विस्तार में संकीर्ण कितना हो गया
पल जिसे तुमने  बताया एक युग ही  खो गया
दे सकोगे क्या मुझे उपहार अब इंतज़ार का
आ सकेगा अंत क्या इस चीड़ के विस्तार का
मौन ही भाषा मेरी पर क्या तुम्हारे बोल है
अंकित छवि नयनो में मेरे शेष यह अनमोल है
कितनी ही लिखता रात उनसे बनकर बस यु अजनबी
शायद सुबह तुम सुन सकोगे क्या कमी मुझको खली
अब जबकि हम है खो चुके तुम आज भी फिर पास हो
न मिट सकेगा जो कभी भी वो आखिरी अहसास हो
कृते अंकेश


आ सकेगा अंत क्या इस चीड़ के विस्तार का

मौन ही भाषा मेरी पर क्या तुम्हारे बोल है
अंकित छवि नयनो में मेरे शेष यह अनमोल है
कितनी ही लिखता रात उनसे बनकर बस यु अजनबी
शायद सुबह तुम सुन सकोगे क्या कमी मुझको खली
अब जबकि हम है खो चुके तुम आज भी फिर पास हो
न मिट सकेगा जो कभी भी वो आखिरी अहसास हो

कृते अंकेश

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply