Menu
blogid : 11610 postid : 702582

कांटेस्ट: प्रेम

Ankesh_writes
Ankesh_writes
  • 11 Posts
  • 5 Comments
प्रेम खोलता है सपनो को
प्रेम जोड़ता है अपनो को
प्रेम सुबह प्यारी सी लाता
प्रेम रात्रि शुभ कहता जाता
प्रेम हँसा करता होठो पर
प्रेम खिला करता चेहरो पर
प्रेम नहीं वैचारिक पुस्तक
प्रेम नहीं अनजानी दस्तक
प्रेम नहीं है व्याधि भारी
प्रेम नहीं है जिम्मेदारी
प्रेम का केवल परिचय इतना
मैंने तुमको समझा अपना
कृते अंकेश सादर

प्रेम खोलता है सपनो को

प्रेम जोड़ता है अपनो को

प्रेम सुबह प्यारी सी लाता

प्रेम रात्रि शुभ कहता जाता

प्रेम हँसा करता होठो पर

प्रेम खिला करता चेहरो पर

प्रेम नहीं वैचारिक पुस्तक

प्रेम नहीं अनजानी दस्तक

प्रेम नहीं है व्याधि भारी

प्रेम नहीं है जिम्मेदारी

प्रेम का केवल परिचय इतना

मैंने तुमको समझा अपना

कृते अंकेश

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply